देश की पहली वातानुकूलित (A.C) ट्रेन जिसमे कोच को बर्फ की सिल्लियों से ठंडा किया जाता था
Author: Chandan Vishwakarma

भारतीय रेलवे आकार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। यह एशिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क और एकल प्रबंधन के तहत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। रेलवे दैनिक आधार पर कुल 16,675 यात्री ट्रेनें और 7,424 मालगाड़ियां संचालित करता है।
भारतीय रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हर साल 800 मिलियन से अधिक यात्रियों और 1 बिलियन टन माल ढुलाई करता है। रेलवे 1.3 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है।
31 मार्च 2022 तक, भारतीय रेलवे की कुल ट्रैक लंबाई 128,305 किलोमीटर है। इसमें 68,043 किलोमीटर मार्ग की लंबाई, 102,831 किलोमीटर चलने वाले ट्रैक की लंबाई और 58,812 किलोमीटर विद्युतीकृत ट्रैक की लंबाई शामिल है।
मार्च 2023 तक, भारतीय रेलवे में कुल 71 पूर्णतः वातानुकूलित सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनें हैं। इन ट्रेनों को एसी एक्सप्रेस ट्रेनों के नाम से जाना जाता है। वे भारत की सबसे तेज़ ट्रेनों में से हैं और उच्च प्राथमिकता वाली हैं। कुछ सबसे लोकप्रिय एसी एक्सप्रेस ट्रेनों में राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और तेजस एक्सप्रेस शामिल हैं।
एसी एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा, कई अन्य ट्रेनें भी हैं जिनमें कुछ वातानुकूलित डिब्बे हैं। इन ट्रेनों में गरीब रथ एक्सप्रेस, डबल डेकर एक्सप्रेस और हमसफर एक्सप्रेस शामिल हैं।
भारतीय रेलवे में एसी ट्रेनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसका कारण भारत में वातानुकूलित यात्रा की बढ़ती मांग है। भारतीय रेलवे अपने ट्रैक नेटवर्क को और अधिक विद्युतीकृत करने के लिए भी काम कर रहा है, जिससे अधिक एसी ट्रेनें चलाना संभव हो सकेगा।
देश की लाइफलाइन कही जाने वाली भारतीय रेल हर रोज करोड़ों लोगों को अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचाती है। रेलवे पैसेंजर ट्रेन और लोकल ट्रेन से लेकर लग्जरी ट्रेनें चलाती है। जैसी सुविधा वैसे ही टिकट के रेट तय किए गए हैं। इसी तरह से ट्रेन में अलग-अलग कोच होते हैं। जनरल, स्लीपर और एसी कोच। गर्मी और भीड़ से बचने के लिए लोग एसी कोच में टिकट बुक करते हैं। आपने भी कई बार ऐसा किया होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की पहली एसी ट्रेन कौन सी थी। जिस समय एसी नहीं होता था, उस वक्त कोच को ठंडा कैसे रखा जाता था? अंग्रेजों के जमाने की ये ट्रेन आज भी चलती है।
देश की पहली वातानुकूलित (A.C) ट्रेन
ट्रेन में एसी कोच की शुरुआत आजादी से पहले हुई थी। अंग्रेजों के जमाने में यह ट्रेन सबसे लग्जरी ट्रेन हुआ करती थी। सबसे खास बात ये हैं कि आजादी से पहले की ये ट्रेन आज भी पटरी पर दौड़ती है। इस ट्रेन का नाम कई बार बदला गया। अपने समय को लेकर बेहद पाबंद फ्रंटियर मेल जब पहली बार 15 मिनट के लिए लेट हुई तो उसके लिए जांच के आदेश दे दिए गए थे। इस एसी ट्रेन की शुरुआत 1 सितंबर 1928 को हुई थी। उस वक्त इसका नाम पंजाब मेल रखा गया था। साल 1934 में जब इसमें AC कोच जोड़ा गया तो उसका नाम बदलकर फ्रंटियर मेल कर दिया गया। साल 1996 में इस ट्रेन का नाम गोल्डन टेंपल मेल कर दिया गया।
कोच ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल
उस वक्त एसी का चलन नहीं था। ऐसे में कोच को ठंडा रखने के लिए बोगियों के नीचे बर्फ की सिल्लियां लगाई जाती थीं। इसके ऊपर पंखों को चलाया जाता था। बर्फ की वजह से यात्रियों को ठंडक महसूस होती थी। सफर के दौरान बर्फ पिघल जाते थे, इसलिए रास्ते में अलग-अलग स्टेशनों पर बर्फ की सिल्लियां दोबारा भरी जाती थी। बर्फ की सिल्लियां किन-किन स्टेशनों पर बदली जाएंगी ये पहले से तय होता था। उस वक्त फ्रंटियर मेल के चलने वाले अधिकतर लोग ब्रिटिश होते थे।
कहां से कहां तक चलती थी
चूंकि ये ट्रेन आजादी और बंटवारे से पहले चलती थी, इसलिए वो मुंबई सेंट्रल से अमृतसर तक जाने के लिए पाकिस्तान के लाहौर और अफगानिस्तान से होते हुए गुजरती थी। यह ट्रेन उस वक्त देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन मानी जाती थी। अगर किसी को टेलीग्राम भेजना होता था, तो वो इस ट्रेन के गार्ड के माध्यम से भेजते थे। लंबी जर्नी थी, इसलिए सफर के दौरान ट्रेन के फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास के यात्रियों को खाना भी दिया जाता था।
पहली बार लेट होने पर जांच के आदेश
यह ट्रेन टाइम पर चलने के लिए जानी जाती थी। शुरू होने के 11 महीने बाद पहली बार जब यह लेट हुई तो सरकार ने ड्राइवर को शोकॉज नोटिस भेजकर जांच के आदेश दे दिए। ट्रेन हाईफाई थी इसलिए इसमें ज्यादा बोगियां नहीं लगाई जाती थी। 1940 तक ट्रेन में 6 बोगियां ही होती थीं । आजादी और बंटवारे के बाद यह ट्रेन मुंबई से अमृतसर के बीच चलाई जाने लगी।